Diwali festival 2024 कैलेंडर: दिवाली, छोटी दिवाली, भाई दूज कब है? जानिए प्रकाश पर्व के 5 दिनों के बारे में सबकुछ

दिवाली 2024 कैलेंडर: साल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दिवाली बस आने ही वाली है। 2024 का पूरा दिवाली कैलेंडर देखें।दिवाली 2024 कैलेंडर: दिवाली इस समय हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे दीपावली या रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, यह हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक महीने के 15 वें दिन पड़ता है – वर्ष की सबसे अंधेरी रात। इस दिन, हिंदू अपने घरों को दीयों, रंगोली और टिमटिमाती रोशनी से सजाते हैं। उत्सव पांच दिनों तक चलता है, प्रत्येक दिन एक त्योहार होता है। इस वर्ष के पूर्ण दीपावली कैलेंडर पर एक नज़र डालें। साथ ही, जानें कि दिवाली कब है।दिवाली 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त इस वर्ष दिवाली 31 अक्टूबर को है। द्रिक पंचांग के अनुसार, छोटी दीपावली और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन मनाई जाएगी। यहां ध्यान रखने योग्य शुभ मुहूर्त हैंदिवाली 2024 पूर्ण कैलेंडर: 5 दिन का दीपों का त्योहारदिवाली का पांच दिवसीय उत्सव 29 अक्टूबर से शुरू होता है और 3 नवंबर को समाप्त होता है। प्रत्येक दिन के साथ विशेष रस्में और परंपराएं जुड़ी होती हैं। यहां जानिए प्रत्येक दिन की जानकारी:1. धनतेरस(29 अक्टूबर)धनतेरस, दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन गौ माताऔर भगवान कुबेरकी पूजा की जाती है, ताकि समृद्धि और संपत्ति की प्राप्ति हो। इस दिन लोग नए सामान खरीदते हैं, विशेष रूप से सोने और चांदी के सिक्के या आभूषण। 2.नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली)(31 अक्टूबर)इस दिन Lord कृष्णद्वारा राक्षस नरकासुर को हराने की विजय को मनाया जाता है। इसे छोटी दिवालीभी कहा जाता है, जिसमें प्रात: जल्दी पूजा और दीप जलाने की परंपरा होती है।3. दिवाली और लक्ष्मी पूजा(31 अक्टूबर)दिवाली का मुख्य दिन, भगवान राम के अयोध्या लौटने का जश्न मनाता है। घरों को दीपों और रंग-बिरंगे सजावट से सजाया जाता है, और शाम को लक्ष्मी पूजाकी जाती है। लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 6:52 बजे से 8:41 बजे तक प्रदोष काल: 6:10 बजे से 8:52 बजे तक वृषभ काल: 6:52 बजे से 8:41 बजे तक अमावस्या तिथि: 31 अक्टूबर को सुबह 6:22 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को सुबह 8:46 बजे समाप्त होगी।4. गोवर्धन पूजा(2 नवंबर)गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने और मथुरा वासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाने की घटना को याद करती है। इस दिन छोटे-छोटे पर्वत बनाए जाते हैं और पूजा की जाती है।5. भैया दूज (3 नवंबर)दिवाली का अंतिम दिन भैया दूजभाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उन्हें लंबी उम्र की कामना करती हैं, और भाई बदले में उन्हें उपहार देते हैं।इन पांच दिनों में धनतेरसनरक चतुर्दश दिवाली गोवर्धन पूजा और भैया दूजशामिल हैं, जो दीपों का त्योहार मनाने के लिए समर्पित हैं।

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